Anam

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कबीर दास जी के दोहे



चिंता ऐसी डाकिनी, काट कलेजा खाए
वैद बेचारा क्या करे, कहाँ तक दवा लगाए।। 

अर्थ :

कबीर दास जी कहते हैं कि चिंता एक ऐसी चोर है जो सेहत चुरा लेती है। चिंता से पीड़ित व्यक्ति का कोई इलाज नहीं कर सकता।

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